Friday, July 18, 2008

विदेश जाने का जुनून

अनूप कुमार मिश्र, नई दिल्ली

अपने सपनों को साकार करने के लिए विदेश का रूख करने वाले नौजवानों पर विदेश जाने का जुनून किस कदर हावी हो चुका है, इसका इसी बात से पता चलता है कि वे वहां जाने के लिए लाखों रूपए खर्च करने के साथ गैर कानूनी तरीकों को भी अख्तियार करने से बाज नहीं आते हैं। पहले मामला फर्जी दस्तावेजों तक ही सीमित था, पर अब इन नौजवानों ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए ऐसे रास्तों को अख्तियार करना शुरू कर दिया है जिसका अंदाजा लगाना ही मुश्किल था। मसलन किसी और के पासपोर्ट के पन्नों को अपने पासपोर्ट पर लगा कर विदेश जाने की कोशिश, वीजा के स्टीकरों में हेरा-फेरी व फर्जी वर्क परमिट आदि का प्रयोग। एयरपोर्ट के सूत्रों की मानें तो अब ये लोग इतनी होशियारी से अपने दस्तावेजों में हेर-फेर करते हैं कि उन्हें आसानी से पकड़ पाना बड़ा मुश्किल है। हाल में ही इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर कुछ ऐसे मामलों का खुलासा हुआ है, जिसमें विदेश जाने के सपने को पूरा करने के लिए नौजवानों ने न केवल फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया बल्कि वे पासपोर्ट के पेजों में हेराफेरी करने से बाज नहीं आए। एयरपोर्ट पर जांच के दौरान पकड़े जाने पर इन यात्रियों के विदेश जाने के मंसूबों पर पानी तो फिर ही, परिजनों द्वारा बनाई गए इज्जत भी दांव पर लग गई। गैर कानूनी तरीके से विदेश जाने का प्रयास कर रहे ये यात्री अब तिहाड़ जेल में हैं या फिर अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए पुलिस स्टेशनों व कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक 14 जुलाई 2008 को ही आईजीआई एयरपोर्ट में ऐसे ही दो मामलों का खुलासा हुआ है। पहले मामले में सुरेंद्र सिंह नामक युवक डेनमार्क जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा। उसे यहां से फ्लाइट संख्या ईवाई-211 से अबूधाबी व अबूधाबी से फ्लाइट संख्या ईवाई-31 से पेरिस के लिए रवाना होना था। एयरपोर्ट पर पासपोर्ट व अन्य कागजातों की जांच के दौरान अधिकारियों को शक हुआ कि पासपोर्ट दुबारा सिला गया है। गहराई से जांच करने पर अधिकारियों का आशंका और बढ़ गई कि पासपोर्ट की पेज संख्या 25-26, जिस पर वीजा जारी किया गया है उसमें भी छेड़छाड की गई है। यूवी लाइट से जांच करने पर पता चला कि सुरेंद्र के पासपोर्ट के जिस पेज पर पेज संख्या 25-26 लिखा है, उसकी वास्तविक पेज संख्या पांच हैं। जिसे किसी दूसरे पासपोर्ट से निकाल कर इस पासपोर्ट में लगाया गया है। अधिकारियों ने हेराफेरी के आरोप में सुरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि इस फर्जी वीजा को पाने के लिए सोनू नामक एजेंट को उसने दस लाख रूपए दिए थे। ठीक इसी तरह के एक दूसरे मामले में 14 जुलाई को ही अधिकारियों ने आईजीआई एयरपोर्ट से रमन कुमार नामक यात्री को गिरफ्तार किया। यह यात्री भी फ्लाइट संख्या ईवाई-211 से मिलान के लिए रवाना होने वाला था। पासपोर्ट की जांच के दौरान एयरपोर्ट अधिकारियों ने पाया कि रमन के पासपोर्ट में न केवल स्टीकरों से छेड़छाड़ की गई है बल्कि कुछ पेजों को भी बदला गया है। पूछताछ के दौरान रमन ने एयरपोर्ट अधिकारियों को बताया कि उसने पुर्तगाल जाने के लिए वीजा का आवेदन किया था। एंबेसी अधिकारियों ने वीजा का आवेदन तो निरस्त किया ही, पासपोर्ट पर वीजा डिनायड की मुहर भी लगा दी। भविष्य में यह मोहर उसे परेशान न करे, इसके लिए उसने शर्मा नामक एक एजेंट को दस हजार रूपए देकर मुहर हटाने का काम सौपा। साथ ही सुरजीत सिंह नामक एजेंट को पांच लाख रूपए देकर मलेशियन वीजा का इंतजाम करने को कहा। फर्जी कागजातों व गैर कानूनी तरीकों से रमन ने वीजा तो हासिल कर लिया, लेकिन विदेश जाने की हसरत पूरी होने के बजाय अब जेल पहुंच चुका है। एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक वीजा से छेड़छाड़ एवं फर्जी दस्तावेजों के जरिए विदेश जाने को तत्पर युवकों की तादाद काफी है। चाहे रूपया खर्च करना पडे़, जेल जाना पडे़ या फिर कोई भी कीमत चुकानी पडे़। वे किसी बात की परवाह नहीं करते।

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