Wednesday, July 16, 2008

लालकिले की सुरक्षा में खामियां!

निश्छल भटनागर, नई दिल्ली
विश्व धरोहर लाल किला सुरक्षा के लिहाज से महफूज नहीं रहा। मुगल काल और स्वतंत्रता संग्राम की विरासतों को सहेजने वाले संग्रहालय हों या अन्य महत्वपूर्ण स्थल। कहीं गड़बड़ हो जाए, तो घंटों पता नहीं चलेगा। किले के बाहर अ‌र्द्धसैनिक बल सुरक्षा की कमान जरूर संभाले हैं, मगर भीतर व्यवस्था में छेद हैं। अरसे से निजी सुरक्षा एजेंसी यहां की चौकसी को लेकर कर्मियों की कमी का रोना रो रही है, पर किसी को परवाह नहीं। किले में 20 चुनिंदा जगहों पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा-कर्मियों की तैनाती जरूरी है, मगर कई जगहों पर सुबह से रात तक एक निजी सुरक्षाकर्मी ही तैनात रहता है। याद रहे कि 15 अगस्त भी करीब है। गौरतलब है कि लाल किले की हिफाजत के लिए यहां सीआईएसएफ और सीआरपीएफ की टुकडि़यां तैनात हैं। दिल्ली पुलिस के अलावा एएसआई ने निजी सुरक्षा एजेंसी एसआईएस को भी निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से लाल किला खतरे की जद में आ गया है। किले में कई ऐसे स्थान हैं, जहां सुबह से रात 9 बजे तक लगातार चौकसी जरूरी है। लेकिन निजी सुरक्षा कर्मियों की कमी के चलते व्यवस्था राम भरोसे है। खास यह कि किले के दीदार को आने वालों का आंकड़ा शनिवार व रविवार को 50 हजार के पार हो जाता है, जबकि आम दिनों में यहां 15 से 20 हजार लोग आते हैं। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कुल 20 ऐसे स्थान चिन्हित हैं, जहां पर्याप्त सुरक्षाकर्मी होने चाहिए। इनमें शाहबुर्ज क्षेत्र, खास महल, रंग महल, मुमताज महल संग्रहालय, अधीक्षण पुरातत्वविद कार्यालय, दीवान-ए-आम, नौबतखाना, चार सिखलाई क्षेत्र, सलीमगढ़ किला क्षेत्र, लाहौरी गेट, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय, दिल्ली गेट, टैरीटोरियल आर्मी क्षेत्र, 15 अगस्त पार्क, माधवदास क्षेत्र, पेपी मार्केट, महानिदेशक बंगला, बुक स्टॉल और अधिकारी हॉस्टल शामिल हैं। इनमें कुछ जगह तो अ‌र्द्ध सैनिक बल के गिने-चुने जवान रहते हैं। बाकी सुरक्षा का जिम्मा निजी सुरक्षा एजेंसी के 67 जवान तीन अलग अलग शिफ्टों में निभाते हैं। वह भी सिर्फ 3 वॉकी-टॉकी सेट के साथ। सूत्रों का कहना है कि लगभग दो वर्ष पहले पुरातत्व विभाग के सीनियर कंजरवेशन असिस्टेंट के जरिए दिल्ली सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद को महत्वपूर्ण स्थल दर्शाते हुए 55 सुरक्षा कर्मियों समेत करीब 20 वॉकी टॉकी वायरलेस सेट मांगे गए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। किले का एक पूरा चक्कर ढाई किलोमीटर से भी लंबा पड़ता है। वायरलेस सेट न होने से सुरक्षा कर्मियों को किले के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। यहां स्थिति पर नजर डालें, तो टी-5 क्षेत्र में बने कमरों को तोड़कर अब पार्किंग बन गई है, जहां 5 गेट हैं। तीन गेट कार-जीप और दो गेट बसों के लिए हैं। इन गेटों पर सुरक्षा की जिम्मेवारी सिर्फ एक गार्ड संभालता है। यही हाल 15 अगस्त पार्क का भी है। पार्क में 11 गेट हैं। लेकिन एक अदद गार्ड पर सुरक्षा का दारोमदार है। पार्क इतना लंबा है कि दूर से सुरक्षा कर्मी किसी को देख भी ले, तो पता लगाना मुश्किल होगा कि करीब आने वाला अमन पसंद है या दुश्मन। अमूमन सुबह 6 से दोपहर दो बजे, दो से रात दस बजे और रात 10 से सुबह छह बजे तक तीन शिफ्टों में सुरक्षा कर्मियों की डयूटी लगती है। कहां-कहां हैं सुरक्षा में खामियां किले में मोज क्षेत्र में आम आदमी का प्रवेश प्रतिबंधित है, लेकिन सुरक्षा कर्मियों की कमी से चोरी-छिपे लोग दस्तक देते रहते हैं। किले की चारदीवारी के बाहर दिल्ली गेट से लाहौरी गेट तक अंदर से सड़क गई है। यहां भी लोग अक्सर नजरें बचाकर निकलते रहते हैं। तकरीबन सभी संग्रहालयों में सिर्फ एक गार्ड बाहर गेट पर चेकिंग करता है, ऐसे में अगर कोई शरारती तत्व संग्रहालय के अंदर शीशा तोड़कर मुगल कालीन या आजादी से ताल्लुक रखने वाले दस्तावेज या विरासत को उड़ा ले जाए, तो घंटों पता नहीं चलेगा। जानकारों का कहना है कि सीआईएसएफ के करीब 300 जवान विभिन्न शिफ्टों में किले के भीतर और बाहर सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। पहले भी हुई हैं अप्रिय घटनाएं सन 2000 में आतंकी सलीमगढ़ किले की तरफ से लाल किले में सेंध लगा चुके हैं। तब उन्हें खदेड़कर किले की हिफाजत करते हुए कुछ जवानों को अपना खून तक बहाना पड़ा था। अंदर आईटीडीसी रेस्टोरेंट में करीब डेढ़ वर्ष पहले चोरी हुई थी और सजावट के तौर पर लगी एक खूबसूरत कलाकृति भी चोरी हो चुकी है। दिल्ली पुलिस की लगातार पैट्रोलिंग के बावजूद बीती अप्रैल-मई के बीच 10 दिनों में 4 बार आग लगने की घटनाएं भी हो चुकी हैं।

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