Monday, April 6, 2009

नंदीग्राम की राह पर लालगढ

नंदीग्राम की राह पर लालगढ

रीता तिवारी
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के माओवादी सक्रियता वाले पश्चिम मेदिनीपुर जिले के लालगढ़ और झारग्राम समेत कई आदिवासी बहुल इलाके नंदीग्राम में बदलते जा रहे हैं। बीते दो नवंबर को केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान और मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के काफिले पर बारूदी सुरंग के विस्फोट के जरिए हमले के बाद मामले की जांच के लिए पुलिस की कथित ज्यादातियों के खिलाफ इलाके के आदिवासी संगठनों ने राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था। दो हफ्ते बाद भी यह आंदोलन जस का तस है। सरकार को इससे निपटने का कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा है। आदिवासियों ने तमाम सड़कें या काट दी हैं या फिर उन पर पेड़ रख कर आवाजाही ठप कर दी है। नतीजतन इलाके का संपर्क देश के बाकी हिस्सों से कट गया है। सरकार की दलील है कि इस आंदोलन के पीछे माओवादियों का हाथ है। लेकिन वह इससे आगे कुछ कर नहीं पा रही है। स्थानीय संगठनों ने पुलिस ज्यादातियों के लिए मुख्यमंत्री से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा है।झारग्राम अनुमंडल के बेलपहाड़ी, जामबनी, ग्वालतोड़, गड़वेत्ता और सालबनी स्थानों पर अनेक जगह सड़कें काट दी गई हैं और 600 पेड़ों को काट कर गिरा दिया गया है। जिला प्रशासन की दलील है कि झारखंड से लगभग सौ संदिग्ध माओवादी लालगढ़ के कठपहाड़ी इलाके में घुस आए हैं। पूरे क्षेत्र में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। लालगढ़ मुद्दे पर अब राजनीति भी गरमाने लगी है। पक्ष व विपक्ष दोनों खेमे के नेता परस्पर विरोधी बयान दे रहे हैं। वाममोर्चा का नेतृत्व करनेवाली माकपा ने जहां आदिवासी आंदोलन के पीछे माओवादियों का हाथ बताया है वहीं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आंदोलन का समर्थन किया है। बनर्जी ने लालगढ़ मुद्दे पर भी केंद्र से राज्य की वाममोर्चा सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने सरकार के खिलाफ कड़ा कदम नहीं उठाने के लिए केंद्र के प्रति नाराजगी जतायी है। ममता बनर्जी ने कहा है कि पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह व माकपा की मिलीभगत के कारण स्थानीय ग्रामीण आतंकित है। बाध्य होकर निर्दोष ग्रामीणों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा। तृणमूल कांग्रेस ग्रामीणों के आंदोलन का समर्थन करती है। उन्होंने लालगढ़ समस्या के लिए मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को भी जिम्मेदार ठहराया और उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की। माकपा राज्य सचिव विमान बोस ने भी दूसरे अंदाज में लालगढ़ मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधा है। बोस ने कहा कि आदिवासियों के आंदोलन को केंद्र से भी समर्थन मिल रहा है। राज्य को बांटने की साजिश चल रही है। बोस ने कहा कि वामपंथी दलों ने जब केंद्र की यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सशर्त समर्थन दिया। शर्त के मुताबिक अब पुरुलिया, बांकुड़ा, और पश्चिम मेदिनीपुर को झारखंड में शामिल करने की कोशिश की जा रही है। इसमें केंद्र की भी मदद है। लालगढ़ में राजनीतिक दबदबा रखनेवाले वाममोर्चा के महत्वपूर्ण घटक दल भाकपा को अपने पैरों तले की जमीन खिसकने का भय है। भाकपा राज्य परिषद के एक नेता का कहना है कि माओवादियों को पकड़ने के नाम पर पुलिस ने आदिवासियों के साथ ज्यादती की जिससे मसला गंभीर हो गया। आदिवासियों के साथ पुलिस की ज्यादती होती है तो इसकी भी जांच होनी चाहिए। भाकपा राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक के बाद प्रदेश सचिव मंजू कुमार मजूमदार ने कहा कि मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य के काफिले को लक्ष्य कर सालबनी में बारूदी सुरंग विस्फोट की पार्टी निंदा करती है लेकिन दोषियों की धर-पकड़ के नाम पर आदिवासियों पर किसी तरह का जुल्म नहीं होना चाहिए। लालगढ़ में आदिवासी महिलाओं के साथ दु‌र्व्यवहार की भी खबर है। यदि इस तरह की घटना हुई है तो उसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए।सीआईडी ने इस मामले में गिरफ्तार कुछ लोगों में से सात के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने व जेल से रिहा करने की बात कही है। इसके लिए उसने कोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि गिरफ्तार सात लोगों के खिलाफ विस्फोट में शामिल होने के पर्याप्त सबूत व तथ्य नहीं मिले हैं जिसकी वजह से यह फैसला किया गया है। सीआईडी सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों के काफिले पर हमले के मामले में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था जबकि एक फरार है। इनमें से तीन लोगों को हथियार के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसी बीच लालगढ़ समेत जिले के विभिन्न इलाकों में इन लोगों को गिरफ्तारी को लेकर आंदोलन शुरू हो गया जो फिलहाल जारी है। सीआईडी के स्पेशल आपरेशन ग्रुप के एक अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में से सात के खिलाफ गहन पड़ताल की गयी लेकिन ऐसा एक भी सबूत हाथ नहीं लगा जिससे यह प्रमाणित होता हो कि वे विस्फोट में शामिल थे। उन लोगों के खिलाफ पहले से भी पुलिस के रजिस्टर में ऐसी कोई आपराधिक व उग्रवादी गतिविधियों से जुड़े मामले नहीं दर्ज हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुये सात लोगों को इस मामले से मुक्त करने का फैसला किया गया है।सामाजिक कार्यकर्ता एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखिका महाश्वेता देवी ने कहा है कि सरकार लालगढ़ में आदिवासियों को माओवादी बताकर अत्याचार नहीं करे। अगर प्रशासन अत्याचार करेगा तो आदिवासी अपने अधिकार के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार बिना किसी साक्ष्य के किस आधार पर लालगढ़ वआसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को माओवादी करार दे रही है जबकि जिंदल के स्टील प्लांट के लिए लगभग चार सौ एकड़ भूमि आदिवासियों की बिना अनुमति के ले ली गई है। अगर आदिवासी अपनी जिंदगी जंगल के सहारे और प्राकृति के करीब रहकर गुजारना चाहते हैं तो सरकार उन्हें भूमि से बेदखल क्यों कर रही है। उन्होंने कहा कि नंदीग्राम व सिंगुर की घटनाओं के बावजूद सरकार सचेत नहीं हुई है। लालगढ़ को भी रणक्षेत्र बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों में आदिवासियों को नौकरी नहीं मिलती और अधिकांश नौकरियां सत्तारूढ़ दलों के समर्थकों के पास चली जाती उन्होंने कहा कि अपने आपको वामपंथी कहने वाली सरकार को आमलोगों से अधिक चिंता पूंजीपतियों की है।इसबीच, कोलकाता के दौरे पर आए केन्‍द्रीय इस्पात और रसायन मंत्री रामविलास पासवान ने सालबनी में दो अक्‍टूबर को अपने काफिल पर हुए माओवादी हमले का पूर्वानुमान नहीं लगा पाने के लिए पूरी तरह पश्चिमी मिदनापुर के स्थानीय प्रशासन को जिम्‍मेदार ठहराया है। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम और पश्चिम बंगाल खनिज विकास और वाणिज्य निगम के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में पासवान ने कहा कि इसकी वजह से स्थानीय प्रशासन द्वारा कानून व्यवस्था की स्थिति का सही आकलन नहीं किया जाना और जरुरी कदम नहीं उठाया जाना हैं।उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद अतिविशिष्ट व्यक्तियों के बीच संवादहीनता रही, जिससे पूरे घटनाक्रम में भ्रम की स्थिति बनी। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ के बाद मुख्‍यमंत्री ने मुझे उच्चशक्ति के तार के बारे में बताया, जबकि बाद में बारुदी सुरंग की पुष्टि हुई।दो नवम्‍बर को सालबनी में इस्पात संयंत्र का उद्घाटन करने के बाद लौट रहे पासवान, राज्यमंत्री जितिन प्रसाद, उद्योगपति सज्जन जिंदल और मुख्‍यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य उस समय बाल-बाल बचे थे, जब माओवादियों ने उनके काफिल पर बारुदी सुंरग में विस्फोट करके हमला कर दिया था।www.janadesh.in se

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